NTUI demands wage commission for workers

न्यू ट्रेड यूनियन इनिशिएटिव (एनटीयूआई) की तीन दिवसीय चौथी आमसभा का शुभारंभ २३ सितम्बर २०१६ को सुंदरनगर स्थित विकास भारती में हुआ। महासंघ के अध्यक्ष कामरेड नाम्बियार वासुदेवन ने झंडोत्तोलन कर आमसभा की शुरुआत की। स्वागत समिति के अध्यक्ष फादर सी आर प्रभु ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डालते हुए एनटीयुआई को एक सफल आमसभा की शुभकामनाएं दी।

उदघाटन समारोह में एटक के राज्य सचिव शशि प्रसाद, सीटू के राज्य सचिव बी के एल दास, एक्टू राज्य सचिव सुवेंदु सेन, एआईयुटीयुसी के राज्य उपाध्यक्ष सुमित राय, इफ्टू के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य सिया शरण शर्मा, प्रगतिशील नागरिक मंच के सुजय रॉय, विस्थापन विरोधी एकता मंच के कुमारचंद मरांडी व डॉ. आर के सिंह ने अपने विचार रखे।

देश भर से आये ३०० मजदूर प्रतिनिधियों और २० से अधिक पर्यवेक्षकों को संबोधित करते हुए एनटीयूआई के महासचिव कामरेड गौतम मोदी ने कहा कि हम निराशा के एक ऐसे दौर से गुज़र रहे हैं जब न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया भर के देशों में सत्ताधारी पूंजीपतियों के साथ मिल कर मजदूरों के दमन पर आमादा हैं। केंद्र की भाजपा सरकार की हालिया मजदूर विरोधी नीतियों का हवाला देते हुए कामरेड मोदी ने बताया की आज के दौर में मेहनतकश वर्ग के लोगों के सामने पहले से भी बड़ी और भयानक चुनौतियां हैं जिनका सामना हमें साथ मिल कर करना होगा।

भविष्य निधि और भूमि अधिग्रहण कानूनों में हुए संशोधनों के खिलाफ मजदूरों के एकजुट विरोध की सराहना करते हुए महासंघ के उपाध्यक्ष कामरेड एम्.ए.पाटिल ने कहा की भाजपा सरकार को आभास हो जाना चाहिए की मजदूरों ने साम्राज्यवादी ताकतों के खिलाफ कमर कस ली है।

सरकार कर रही है प्राकृतिक संसाधनों का हनन

महंगाई पर अंकुश लगाने में पूरी तरह से विफल भाजपा सरकार की आर्थिक नीतियों पर हल्ला बोलते हुए कामरेड आशीष कुसुम घोष ने बताया की किस तरह पूंजीपतियों की मिलीभगत से यह सरकार देश को आर्थिक संकट की तरफ धकेल रही है। सरकार का जनता के प्रति एक आक्रामक रवैय्या रहा है, प्राकृतिक संसाधनों को लोगों से छीनकर पूंजीपतियों के हवाले करने के लिए यह सरकार इतनी प्रतिबद्ध जान पड़ती है की किसी भी विरोध को राष्ट्रद्रोह का जामा पहना कर देश हित का विरोधी घोषित कर दिया जाता है। झारखण्ड केंद्र सरकार की इन नीतियों का एक जीता जगता उदहारण है। खनिज और प्राकृतिक संसाधन बहुल इस क्षेत्र में लोगों के अधिकारों का पुरजोर हनन हुआ है।

धर्मांध हिंसा और असामाजिक तत्वों को अपूर्व शक्तियां मिली हैं। ऐसे दौर में भी एन टी यु आई ने जन आन्दोलनों के साथ मिल कर मजदूर संघर्ष को आगे बढ़ने की कोशिश की है। एनटीयुआई की इस पहल में कई नई यूनियनों उसके साथ जुडी हैं – तमिल नाडू के सफाई कर्मचारी, उत्तर प्रदेश के हिंडाल्को मजदूर, महाराष्ट्र और त्रिपुरा के ग्रामीण मजदूर एकजुट हो एनटीयुआई के झंडे तले मजदूरों के संघर्ष को एक नई दिशा और शक्ति दे रहे हैं।

एनटीयुआई ने की मजदूरों के लिए वेतन आयोग की मांग

एनटीयुआई के राज्य सचिव कामरेड मिलिंद रानडे ने सातवें वेतन आयोग की तर्ज़ पर असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे ठेका श्रमिकों के लिए वेतन आयोग की मांग की और ठेका मजदूरी की समस्या पर प्रकाश डालते हुए बताया की सरकार ठेका मजदूरी को न सिर्फ परोक्ष रूप से बढ़ावा दे रही है बल्कि गरीब मजदूरों से उनको मिलने वाली सामाजिक सुरक्षा भी छीनने की कोशिश में है। देश में बेरोज़गारी और निराशा बढ़ रही है और नरेन्द्र मोदी की सरकार कौशल विकास और “मेक इन इंडिया” सरीखी योजनाओं की आड़ में मेहनतकशों की आँखों में धूल झोंक रही है। एक ओर जहाँ पूंजीपतियों की तिजोरियां भारती जा रही हैं वहीं मजदूरों को न्यूनतम वेतन भी मयस्सर नहीं है।