‘नए’ सिलचर हवाईअड्डे के लिए भूमि के अवैध हस्तांतरण पर रोक लगाई जाये
‘विकास’ के नाम पर नौकरियों पर हमले का बचाव करें
न्यू ट्रेड यूनियन इनिशिएटिव (एनटीयूआई) असम के कछार जिले में डोलू टी एस्टेट के हमारे उन 2000 बहनों और भाइयों के साथ एकजुटता के साथ खड़ी है, जो हमारे संबद्ध असम मजूरी श्रमिक यूनियन (एएमएसयू) के नेतृत्व में ‘नए’ सिलचर हवाई अड्डे के लिए रास्ता बनाने के लिए चाय बगान से बेदखली का उल्लेखनीय साहस के साथ विरोध कर रहे हैं।
15 जनवरी 2022 को इस योजना की घोषणा के बाद से ही मज़दूर इसका विरोध कर रहे हैं। हवाई अड्डे के निर्माण पर मुख्य आपत्ति यह है कि श्रमिकों के निरंतर रोजगार और आवास के साथ उन्हें स्थानांतरित करने की कोई योजना नहीं है, जो (रोज़गार और आवास) श्रमिकों को चाय बगान से प्राप्त होता है। यह योजना मज़दूरों को रोज़गार और मजदूरी से वंचित करती है तथा बेघर बनाती है ।
सरकार का कहना है कि चाय बागान घाटे में चल रहा था और इसके मालिकों को कुल मिलाकर रु. 50 करोड़ का मुआवज़ा दिया गया है जिसमें से नौकरीदाता श्रमिकों को मुआवजा देगा। एएमएसयू ऐसे दस्तावेज पेश करने में सक्षम रहा है जिससे साफ़ है कि चाय बागान मुनाफ़ा कमाने वाली इकाई है। बागान मालिक ने बदले में तीन यूनियनों (सीटू, इंटक और बीएमएस) के साथ एक समझौता किया, जिसमें ग्रेच्युटी को रोजगार दायित्व के निर्वहन के लिए एकमात्र मुआवजे के रूप में स्वीकार किया गया था। आगे सरकार ने नौतरीदाताओं की ओर से रु. 2.27 करोड़ [उनका पुराना बकाया, भविष्य निधि का बकाया रु. 1.57 करोड़ + और रु. 80 लाख ग्रेच्युटी] का श्रमिकों के बीच इस प्रकार से भुगतान किया मानो यह मुआवज़े के बराबर हो। मज़दूर इस समझौते को रद्द करने की मांग कर रहे हैं।
एएमएसयू ने यह भी बताया है कि हवाई अड्डे के निर्माण के लिए उपयुक्त भूमि कई अन्य जगहों पर उपलब्ध है , जहाँ निर्माण होने से ना केवल विस्थापन नहीं होगा बल्कि पर्यावरण को भी कम नुकसान पहुंचेगा।
केंद्र सरकार ने एएमएसयू की अपीलों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। असम राज्य सरकार यह ढोंग करने में लगा है कि तीन यूनियनों के साथ समझौता लोकतांत्रिक सहमति को दर्शाता है, वह यह स्वीकार करने को तैयार नहीं है कि दो जन सुनवाइयों और कलेक्टर के बीच हुई बैठक में मज़दूरों ने एक स्वर में नए हवाई अड्डे के लिए भूमि के हस्तांतरण को तब तक के लिए खारिज कर दिया गया है जब तक उनके रोजगार, आवास और पुनर्वास के मुद्दों का समाधान नहीं हो जाता।
चाय बागान कंपनी के साथ एक निजी समझौते के माध्यम से वृक्षारोपण भूमि को एकतरफा रूप से अलग करने का कार्य, सरकार द्वारा कानून का घोर उल्लंघन और औद्योगिक विवाद अधिनियम के प्रावधानों सहित कानून के तहत निर्धारित नियमों और प्रक्रिया का पालन करने में विफलता है। कानून के इन प्रावधानों का उल्लंघन वास्तव में शासन-प्रशासन को ‘कानून के दायरे बाहर’ करना है जो सरकार को यह विश्वास दिलाता है कि उसे कानून का कानून तोड़ने की खुली छूट है।
एनटीयूआई और उसके सदस्य एएमएसयू के साथ मिलकर मांग करते हैं कि:
भारत सरकार, नागरिक उड्डयन मंत्रालय, नई सिलचर हवाई अड्डे की निर्माण कार्यवाही को तत्काल निलंबित करें और
असम सरकार असम मजूरी श्रमिक यूनियन के नेतृत्व और प्रभावित मज़दूरों के साथ सद्भावपूर्वक बातचीत निम्न उद्देश्य के साथ करे:
यह सुनिश्चित करे कि सभी वैकल्पिक स्थानों की जहां विस्थापन नहीं होगा कि वैज्ञानिक तरीके से जांच की जाए और यदि ऐसे स्थल उपलब्ध नहीं हैं तो एक लोकतांत्रिक और न्यायसंगत व्यापक पुनर्स्थापन-पुनर्नियुक्ति-पुनर्वास योजना पर बातचीत करें जो बागान श्रमिकों को फिर से प्रशिक्षित करने और नए हवाई अड्डे और संबंधित सुविधाओं पर अधिकतम संभव स्थायी नौकरियों की गारंटी देने की प्राथमिकता देता हो।
एनटीयूआई असम सरकार से भी आह्वान करता है, जो वर्तमान स्थिति के लिए जिम्मेदारी है, कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि कोई हिंसा न हो, श्रमिकों की मजदूरी का भुगतान किया जाए और समस्या का समाधान होने तक मज़दूरों को काम करने की अनुमति दी जाए।
डोलू चाय बागान के मजदूरों पर हमला इस बात को दोहराता है कि नवउदारवादी आर्थिक नीतियों द्वारा मजदूरों और प्राकृतिक संसाधनों पर हमला इक्कीसवीं सदी में पूंजी द्वारा अपने पुनर्निमाण की कवायद है।
यह संघर्ष अकेले डोलू चाय बागान के मजदूरों का संघर्ष नहीं है।यह संघर्ष सभी मजदूरों का है।यह संघर्ष राष्ट्रीय उत्पाद में मजदूरी के हिस्से को एक समान, न्यायसंगत और टिकाऊ दुनिया में बनाए रखने और बढ़ाने के लिए पूरे मज़दूर वर्ग का संघर्ष है। यह पूंजीवाद के खिलाफ मजदूर वर्ग का संघर्ष है। यह साम्राज्यवाद के खिलाफ मजदूर वर्ग का संघर्ष है।
देश के सबसे दूरस्थ और अविकसित हिस्सों में से एक में डोलू चाय बागान के श्रमिकों का लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण संघर्ष उन लोगों का संघर्ष है जो सदियों से शोषण और ऐतिहासिक रूप से भेदभाव के शिकार हैं और हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है। अपने जुझारू संघर्ष और दृढ़ संकल्प से वे अपनी परिस्थितियों को चुनौती देते हैं।
जब वे अपनी नौकरी और अपने घरों को बनाए रखने की लड़ाई जीतेंगे, तो जीत हम सब की होगी।
हम डोलू चाय बागान के मज़दूरों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कर खड़े हैं, उनकी लड़ाई हम सब की लड़ाई है, हम देश भर में प्रगतिशील लोगों और संगठनों से इस लड़ाई में शामिल होने का आह्वान करते हैं।