आम हड़ताल 28 और 29 मार्च 2022: बेहतर भविष्य बनाने को हम बारंबार हड़ताल करेंगे

29 मार्च 2022: न्यू ट्रेड यूनियन इनिशिएटिव सभी वर्गों की मेहनतकश जनता को सलाम करता है, जिन्होंने 28-29 मार्च 2022 की देशव्यापी आम हड़ताल में हिस्सा लिया जिसका आह्वान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ को छोड़ बाकी सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने किया था।

हड़ताल का आह्वान भारतीय जनता पार्टी सरकार द्वारा कोरोनोवायरस की आड़ में लाए गए चारों लेबर कोड को निरस्त करने के लिए; न्यूनतम और नरेगा मजदूरी में वृद्धि के माध्यम से अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार और रोजगार सृजन; सार्वजनिक क्षेत्र में सरकारी निवेश में बढ़ोतरी के साथ-साथ सरकारी उपक्रमों का निजीकरण रोकने; सामाजिक सुरक्षा के विस्तार और सार्वभौमिकरण एवं ठेका, संविदा, मानदेय और अन्य अनियमित करार के माध्यम से काम पर रखे गए सभी श्रमिकों की नौकरी को स्थायी करने की मांग के साथ किया गया था जिस में असंगठित और संगठित क्षेत्र के मज़दूरों ने दो दिन तक अनवरत शिरकत की।

केरल में और काफ़ी हद तक तमिलनाडु में जनजीवन ठहर गया, हालांकि इसमें यूनियन शक्ति के साथ-साथ सत्तासीन राजनीतिक दलों के मौन समर्थन का भी हाथ रहा। देश के अन्य हिस्सों में यह सिर्फ यूनियन शक्ति के दम पर प्रभावी रहा इनमें कोलकाता शहर की बंदी उल्लेखनीय है। अन्य स्थानों पर हड़ताल का असर उन केंद्रों तक सीमित रहा जहाँ ट्रेड यूनियन मजबूत और प्रभावशील हैं। वित्तीय सेवा प्रतिष्ठानों में हड़ताल के कारण कई नगर केंद्रों और वाणिज्यिक जिलों में कामकाज प्रभावित रहा, जो बैंक और बीमा संघों के लड़ाकू वर्ग की ताक़त को दर्शाता है। इसमें बिल्कुल भी अचरज नहीं है कि केंद्र, राज्य और स्थानीय स्तर पर निर्माण क्षेत्र, परिवहन और रसद सेवाओं (विशेष कर रेलवे और बंदरगाह) में कार्यरत स्थायी कर्मचारियों का विशाल वर्ग हड़ताल में शामिल नहीं हुआ, जिससे हड़ताल का प्रभाव कमजोर हो गया; खासकर देश की राजधानी दिल्ली और व्यावसायिक राजधानी मुंबई में। आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम (एस्मा) और हड़ताल की शुरुआती सुबह ही अदालत के प्रतिकूल आदेशों, ख़ास तौर से केरल उच्च न्यायालय के आदेश के कारण सरकारी कर्मचारी दबाव में आ गए। जब मेहनतकश वर्ग का अपेक्षाकृत सुरक्षित तबका प्रतिशोध के डर से हड़ताल से दूर रहता है तो यह मज़दूर वर्ग में राजनीतिक समझ की कमजोरी को दर्शाता है और मजदूर वर्ग के आंदोलन से जुड़े लोगों के संज्ञान में लाता है कि हमें इसे संबोधित करने की आवश्यकता है। इस गंभीर अनुपस्थिति के बावजूद, हमने सार्वजनिक क्षेत्र मे संविदा और मानदेय श्रमिकों द्वारा और निजी क्षेत्र में छोटे से ले कर बड़े हर आकार और प्रकार के उद्योगों में एक वृहद और जुझारू हड़ताल देखी।


न्यू ट्रेड यूनियन इनिशिएटिव के सदस्यों ने देश के कोने-कोने में हड़ताल में हिस्सा लिया। सार्वजनिक क्षेत्र में, मुंबई और नासिक में ठेका सफाई कर्मचारी सबसे आगे थे, जबकि झारखंड में विनिर्माण क्षेत्र में, स्टील अथॉरिटी, हिंदुस्तान कॉपर और यूरेनियम कॉर्पोरेशन और असम में इंडियन ऑयल में ठेका श्रमिकों ने मजबूती से मोर्चा संभाला। वहीं दूसरी ओर अस्थायी रोज़गार क्षेत्र में हमारी आंगनवाड़ी, आशा, घरेलू और कपड़ा मज़दूर सदस्यों ने महाराष्ट्र और तमिलनाडु में अपने कार्यस्थलों और शहर के चौकों में प्रदर्शन किया। उत्तर प्रदेश में हमारे वन-श्रमजीवी सदस्यों ने केंद्रीय यूनियनोें के साथ प्रदर्शन में हिस्सा लिया। इसी तरह हमारे भवन निर्माण, ठेका मज़दूर और ग्रामीण मज़दूर सदस्यों ने असम, केरल और त्रिपुरा में प्रदर्शन किया। कोलकाता शहर में हमारी सदस्यता मुख्य रूप से कर्मचारी वर्ग के बीच है जिन्होंने ऐक्य भाव का प्रदर्शन करते हुए सहभागी लड़ाकू यूनियनों के साथ कंधे से कंधा मिला कर हड़ताल कार्यक्रमों में भाग लिया, जबकि पश्चिम बंगाल के चाय बागानों में हमने केंद्रीय यूनियनोें के साथ प्रदर्शन में सहभागिता की। तमिलनाडु में विनिर्माण क्षेत्र के हमारे श्रमिक सदस्यों ने सभी प्रमुख औद्योगिक केंद्रों और चेन्नई के शहर के केंद्र में संयुक्त प्रदर्शन में मोर्चा संभाला। सबसे प्रेरक विरोध प्रदर्शन मुंबई शहर के हमारे ठेका बिजली मज़दूर सदस्यों का रहा, जिन्होंने पिछले तीन वर्षों में अपने बुनियादी लोकतांत्रिक अधिकारों पर गंभीर हमले का सामना किया है। वैश्विक सपलाई चेन के सबसे निचले छोर जहां महिलाओं से कम से कमतर मज़दूरी पर काम निकाला जाता है, से ले कर देश के निजी क्षेत्र के उच्चतम छोर तक भारतीय स्वामित्व वाली और बहुराष्ट्रीय [एबट, अडानी ट्रांसमिशन, अमृतांजन, अशोक लीलैंड, कैडिला, डीएचएल, जनरल इलेक्ट्रिक , ग्लेनमार्क, फ्रेंको, हाउडेन, मैकलेओड्स, मोदी मुंडी, एमआरएफ, पैनासोनिक, प्रॉक्टर एंड गैंबल, राणे, रैप्टाकोस ब्रेट, सनोफी, सीरम इंस्टीट्यूट, सीमेंस, सिम्पसन्स, सन, टैफे, टाटा स्टील, टोरेंट, यूकैल, यूएसवी, वेलियो, ज़ायडस ] कंपनियों में हमारे सदस्य मज़दूरी और छुट्टी की कटौती की परवाह ना करते हुए पूरे जोश के साथ मोर्चे पर डटे रहे। बलिदान और एकजुटता की यह भावना ही हमारे संघर्ष को परिभाषित करती है।

आगामी दिनों में जब हम मजदूर वर्ग के आंदोलन ने इन दो दिनों में जो हासिल किया है उसका जश्न मना रहे हों तब इस पर भी ज़रूर चर्चा करनी होगी कि हम कहाँ चूक गए। यूनियन की ताक़त को बढ़ाने के लिए हमें और क्या करना होगा। विरोध करने की अपनी क्षमता को बढ़ाने के लिए और क्या करना होगा।

हमने जो किया है वह काफी नहीं है। यह सत्तावादी भाजपा सरकार को घुटनों पर लाने के लिए पर्याप्त नहीं है, यूनियन बना सकने की स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा के लिए पर्याप्त नहीं है, लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए पर्याप्त नहीं है, एक बहुल और स्वच्छंद समाज को बरकरार रखने के लिए पर्याप्त नहीं है और सभी के लिए सामाजिक न्याय और समानता पा सकने के लिए पर्याप्त नहीं है।

वहां पहुंचने के लिए हमारे संगठन को एक पैनी राजनीतिक समझ और उच्चस्तरीय की वर्ग चेतना के लिए और अधिक व‌‌िमर्श की आवश्यकता होगी और हत्यारे नौकरी दाताओं और दमनकारी सरकार की प्रताड़ना, शोषण और हिंसा के खिलाफ खड़े होने और लड़ने में सक्षम होने के लिए और अधिक तैयारी की आवश्यकता होगी। जैसा कि हम सभी प्रगतिशील ट्रेड यूनियन संगठनों से कहते हैं – हमें आम हड़तालों और विरोध प्रदर्शनों में तो निश्चित रूप से एक साथ आना ही चाहिए, लेकिन इससे बढ़ कर हमें और भी काम करने की आवश्यकता है। हमारी एकता का मतलब हमारे वर्ग के दिलोदिमाग का मिलन होना चाहिए जो हमें कदम से कदम मिला कर आगे बढ़ने और एकजुट हड़ताल करने शक्ति प्रदान करे। इस उद्देश्य से उपजी एकता ही मजदूर वर्ग को वैश्विक पूंजी को वश में करने और एक सत्तावादी सरकार को हराने के लिए यूनियन शक्ति प्रदान करेगी।

वर्तमान व्यवस्था को परास्त करने के लिए कदम से कदम मिला कर साथ चलने और एकजुट हो कर विरोध करने की एकता की आवश्यकता है।

और तभी हम एक बेहतर दुनिया बनाने के लिए बारंबार हड़ताल करेंगे।

मज़दूर एकता ज़िंदाबाद!
इंकलाब ज़िंदाबाद!

गौतम मोदी
महासचिव